खट्टी मीठी ज़िन्दगी के भूले बिसरे पल...

खट्टी मीठी ज़िन्दगी के भूले बिसरे पल
यादों के झरोखे से आज झांकते हैं
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सीने में दबे हुए अनगिनत जज़्बात
वक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं
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ओस में भीगे सीले हुए पत्ते
मोती बन आज आंखों में टिमटिमाते हैं
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सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं
~~पायल~~

6 comments:

  1. सीने में दबे हुए अनगिनत जज़्बात
    वक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं


    बहुत सुन्दर रचना
    सुन्दर अभिव्यक्ति
    आभार व शुभकामनायें

    ★☆★☆★☆★☆★
    क्रियेटिव मंच
    ★☆★☆★☆★☆★

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  2. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ और उनके पीछे सतरंगी भावनाओं का प्रवाह लेकिन तरतीब देने में चूक हो जाती है.. आपके पास कविता है और सुन्दर कविता है बस थोडा और प्रयास मांग रही है ..सोच में हूँ यह टिप्पणी दूं न दूं कहीं अनाधिकार चेष्ठा न हो जाये

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  3. सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
    अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं!

    bahot hi umda! :)

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  4. सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
    अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं!

    bahot hi UMDA! :)

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  5. Just wanted to say "classic".

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  6. Utkrusht rachna...behad bhaavpurn
    Very well written...felt glad to read it !!

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