खट्टी मीठी ज़िन्दगी के भूले बिसरे पल
यादों के झरोखे से आज झांकते हैं
यादों के झरोखे से आज झांकते हैं
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सीने में दबे हुए अनगिनत जज़्बात
वक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं
वक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं
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ओस में भीगे सीले हुए पत्ते
मोती बन आज आंखों में टिमटिमाते हैं
मोती बन आज आंखों में टिमटिमाते हैं
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सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं
~~पायल~~
अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं
~~पायल~~
सीने में दबे हुए अनगिनत जज़्बात
ReplyDeleteवक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर अभिव्यक्ति
आभार व शुभकामनायें
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क्रियेटिव मंच
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बहुत सुन्दर पंक्तियाँ और उनके पीछे सतरंगी भावनाओं का प्रवाह लेकिन तरतीब देने में चूक हो जाती है.. आपके पास कविता है और सुन्दर कविता है बस थोडा और प्रयास मांग रही है ..सोच में हूँ यह टिप्पणी दूं न दूं कहीं अनाधिकार चेष्ठा न हो जाये
ReplyDeleteसागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
ReplyDeleteअक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं!
bahot hi umda! :)
सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
ReplyDeleteअक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं!
bahot hi UMDA! :)
Just wanted to say "classic".
ReplyDeleteUtkrusht rachna...behad bhaavpurn
ReplyDeleteVery well written...felt glad to read it !!